हिमाचल प्रदेश को ऐसे ही देवभूमि नहीं कहा जाता। यहां कण-कण में भगवान विराजमान हैं। यहां कई ऐसे मंदिर है जो रहस्यों से भरे हैं। मंडी जिला के करसोग में स्थित ममलेश्वर मंदिर (Mamleshwar Mahadev Mandir Karsog) भी अपने में कई रहस्य समेटे हुए हैं। इस मंदिर में कई ऐसी अद्भुत चीजें हैं, जिनके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे। इस मंदिर में महाभारत काल से अग्निकुंड जल रहा है। मान्यता है कि पांच हजार साल से जल रहे इस अग्निकुंड से कभी राख नहीं निकाली गई है। यह रहस्य ही है कि जहां हजारों साल से आग जल रही है वहां से कभी राख नहीं निकाली गई! बताया जाता है कि इस राख को मंदिर आने वाले श्रद्धालु तिलक स्वरूप में इस्तेमाल करते हैं।

हिमाचल का अद्भुत मंदिर: यहां मौजूद है 5 हजार साल से जल रहा अग्निकुंड, महाबली भीम का विशाल ढोल, 200 ग्राम वजनी गेहूं का दाना
पांडवों के समय का 5 हजार साल पुराना गेहूं का दाना
मान्यता है कि करीब पांच हजार साल पहले पांडवों ने यहां समय बिताया था। यहां पांडवों के समय का 5 हजार साल पुराना गेहूं का दाना आज भी मौजूद है। गेहूं के इस दाने का वजन 200 ग्राम से ज्यादा है। मान्यता है कि इसे पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान उगाया था। लोग दूर-दूर से गेहूं के इस दाने को देखने आते हैं। पहले श्रद्धालु इस गेहूं के दाने को छूं सकते थे लेकिन अब इसे बॉक्स में सुरक्षित रखा गया है। हालांकि अगर श्रद्धालु इसे देखना चाहे तो देख सकते हैं। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 105 किलोमीटर की दूरी पर करसोग घाटी में स्थित है। वहीं मंडी से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित है।

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मंदिर में भीम का विशालकाय ढोल
इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि इस मंदिर में भीम का विशालकाय ढोल रखा गया है। दंत कथाओं के मुताबिक अज्ञातवास के दौरान भीम ने ये ढोल को बनवाया था। इस ढोल की लंबाई 2 मीटर और ऊंचाई 2 फीट से ज्यादा है। माना जाता है कि पांडव इसे अपने मनोरंजन और पूजा के लिए बजाया करते थे। इस ढोल को अभी भी सुरक्षित तरीके से मंदिर में रखा गया है। ऐसे में अगर आप मंदिर में मौजूद इन रहस्यों को
मंदिर में खुदाई के दौरान मिले कई शिवलिंग
ममलेश्वर महादेव मंदिर (Mamleshwar Temple Karsog) भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर में शिव और पार्वती की प्रतिमा युगल रूप में स्थापित है। इस मंदिर में खुदाई के दौरान कई शिवलिंग मिले हैं। इसमें चार शिवलिंग एक पंक्ति में है जबकि पांचवा शिवलिंग अलग से स्थापित है। वहीं कई मूर्तियां भी यहां पर खुदाई के दौरान मिली हैं।