हिमाचल की राजधानी शिमला के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग को भी पहाड़ों की रानी कहा जाता है। यहां के प्राकृतिक नजारे हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसी के चलते यहां पर सालभर में लाखों सैलाना आती हैं।
दार्जिलिंग अपनी खूबसूरती के कारण कई बार बड़ी स्क्रीन पर भी नजर आ चुका है। कई फिल्मों की शूटिंग यहां की जा चुकी है। वहीं आए दिन किसी ना किसी फिल्म की शूटिंग की जाती है। अगर ये भी कहा जाए कि दार्जिलिंग पर बॉलीवुड फिदा है तो शायद यह कहना गलत नहीं होगा।

छुक-छुक करती रेल और प्रकृति के नजारे, क्या ऐसे ही होती है दार्जिलिंग की पहचान?
यहां दर्जनों फिल्मों की हुई है शूटिंग
दार्जिलिंग में अब तक दर्जनों फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। चाहे ”मैं हूं ना” की बात की जाए या ”बर्फी”, ”यारियां” या फिर ”जग्गा जासूस” हर कहीं दार्जिलिंग ने फिल्मों में अपनी अलग छाप छोड़ी है। ऐसे ही अगर पुरानी फिल्मों की बात की जाए तो राजेंद्र कुमार और सायरा बानो की फिल्म ”झुक गया आसमान” में यहां के अलग ही नजारे देखे जा सकते हैं।
दार्जिलिंग में भाप के इंजन से चलती है ट्रेन
यहां पर भाप के इंजन से चलने वाली ट्रेन काफी लोकप्रिय है। जब भी आप दार्जिलिंग के बारे में सोचते होंगे तो सबसे पहले आपको दिमाग में भाप के इंजन वाली ट्रेन की तस्वीर ही उभरती होगी। इस ट्रेन ने यहां की खूबसूरती को चार चांद लगा दिए हैं। दार्जिलिंग हिमालयन ट्रेन को टॉय ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है। यह पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच चलने वाली एक छोटी लाइन की रेलवे प्रणाली है।

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दार्जिलिंग रेलवे विश्व धरोहर में शामिल
बता दें कि यूनेस्को ने साल 1999 में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को विश्व धरोहर में शामिल किया है। इस ट्रैक का निर्माण 1879 से लेकर 1881 के बीच किया गया था। इस रेलवे लाइन की कुल लंबाई 78 किलोमीटर है जिसमें 13 स्टेशन पड़ते हैं। इस टॉय ट्रेन की अधिकतम रफ्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटा है। यदि आप कहीं घूमने का मन बना रहे हैं और अगर पहाड़ी क्षेत्र के साथ-साथ प्रकृति के नजदीक जाना चाहते हैं तो दार्जिलिंग आपके लिए बेहतर च्वाइस हो सकती हैं। हालांकि आप शिमला में भी इस तरह के नजारे को इंजॉय कर सकते हैं।