अंधेरे में छुपी उम्मीद की किरण को जो कोई पहचान लेता है, वह जीवन में अवश्य ही सफल होता है। ऐसी ही सफलता की एक मिसाल हिमाचल प्रदेश की महिलाओं ने पेश की हैं। दरअसल, सेब के कम दाम मिलने के कारण हिमाचल प्रदेश में रोहड़ू उपमंडल के समोली गांव की महिलाओं ने अपने सेब की फसल की प्रोसेसिंग करने का निर्णय लिया ताकि सेब बेकार भी न जाए और अच्छी कमाई भी हो सके।
सफलता के सफर की ऐसे की शुरुआत
इसके लिए महिलाओं ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे फूड प्रोसेसिंग शिविर में प्रशिक्षण लिया और स्वयं सहायता समूह बनाकर बी-ग्रेड सेबों से चटनी बनाकर मार्केट में उतारी। कोरोना काल में समोली गांव की सुदर्शना ने अपने सेबों की दुर्दशा और कम दाम मिलने से आहत होकर पांच महिलाओं के साथ ‘सुदर्शना’ नामक स्वयं सहायता समूह व ‘झांसी’ नामक ग्राम समूह का गठन किया।
सेब से बना रहे विभिन्न प्रोडक्ट
सुदर्शना बताती हैं कि हम देख रहे थे कि हमारा बहुत सा बी-ग्रेड सेब काफी वेस्ट हो जाता है। अगर उसे बेचना भी चाहें तो वह सेब बेहद कम दामों में बिकता है। इसी के समाधान हेतु हॉर्टिकल्चर और ब्लॉक स्तर पर हमारी एक ट्रेनिंग कराई गई। इसमें हमें सिखाया गया कि किस प्रकार से सेब से जूस, चटनी, जैम, सॉस इत्यादि प्रोडक्ट तैयार कर अच्छी कीमत पर बेचे जा सकते हैं। कम से कम 20 से 25 औरतें अब इस काम को करना चाहती हैं। फिलहाल, कुछ महिलाएं इस कार्य को कर रही हैं। इन महिलाओं द्वारा तैयार किए गए प्रोडक्ट मार्केट में अब अच्छी मात्रा में और अच्छी कीमत पर जा रहे हैं।
सेब की अच्छी कीमत न मिलने पर बनाई एप्पल चटनी
समूह के माध्यम से महिलाओं द्वारा निर्मित रोहड़ू वैली हिमाचली चटपटी चटनी आज न केवल हिमाचल बल्कि बेंगलुरु और पंजाब सहित देश के कई शहरों में बिक रही है। समूह की सदस्या उर्मिला का कहना है कि सेब की खराब हालत को देखते हुए ही उन्होंने सेब की प्रोसेसिंग का निर्णय लिया। उर्मिला बताती हैं सेब के लिए उन्हें पूरे साल मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन आखिर में उन्हें उस समय बहुत दुख होता है जब बाजार में उन्हें उसका सही दाम नहीं मिलता।

हिमाचल की महिलाओं ने सेब से बनाई चटनी और चिप्स, हो रही अच्छी कमाई
सेब सुखाकर बनाए गए चिप्स, जो बिकते हैं 700 रुपए किलो
समूह की महिलाओं द्वारा सेब को सुखाकर चिप्स भी बनाई गई है, जो मार्केट में 700 रुपए प्रति किलो की कीमत पर बिकती है। रोहड़ू की इन महिलाओं द्वारा कोरोना काल में शुरू किए इस समहू की संख्या बढ़कर अब 20 हो चुकी है, जो अब क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण साबित हो रहा है।