भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वर्ष 1969 में अपने सफर की शुरुआत एक बैलगाड़ी से की थी। लेकिन आ इसरो की दुनियाभर में साख है। इसरो अंतरिक्ष में दुनिया के 38 देशों की 342 विदेशी सैटेलाइट भेज चुका है। सैटेलाइट भेजने का सिलसिला सैटेलाइट ‘आर्यभट्ट’ (Satellite Aryabhata) के साथ शुरू हुआ, जिसके मिशन का नेतृत्व प्रो. यूआर राव ने किया था।
उडुपी रामचंद्र राव को‘भारत का सैटेलाइट मैन’ (India Satellite Man) भी कहा जाता है। राव पहले भारतीय थे जिन्हें 2013 में ‘सैटेलाइट हॉल ऑफ फेम’ में जगह मिली। यह वही वर्ष था जब इसरो ने पहली बार अंतर्ग्रह सैटेलाइट ‘मंगलयान’ लॉन्च किया था। जो इस तरह का दुनिया का सबसे सस्ता और कम समय में तैयार किया हुआ मिशन था।

ISRO ने बैलगाड़ी से की थी अपने सफर की शुरुआत, आज दुनियाभर में है साख
बता दें कि दुनिया कि सबसे बेहतर माने जाने वाली एजेंसी नासा को इसी मिशन के लिए 690 मिलियन डॉलर और 5 साल का समय लगा था। जबकि इसके विपरीत इसरो ने सिर्फ 18 महीने और 69 मिलियन डॉलर में ही इसे तैयार कर दिया था। इसी तरह चंद्रयान मिशन नासा के बजट के 10% में ही तैयार हो गया था। इसरो के चंद्रयान का बजट हॉलीवुड मूवी ‘ग्रैविटी’ से भी कम था।
भले ही इसरो का वार्षिक बजट नासा के बजट के लगभग 12 गुना कम है। लेकिन इसरो की क्षमता को दर्शाते के लिए उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम काफी है। इसरो ने 2017 में एक साथ 104 सैटेलाइट को लॉन्च कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। इससे पहले रूस की एजेंसी एक बार में सिर्फ 34 सैटेलाइट लॉन्च कर सकी थी।