हिमाचल देवी देवताओं की धरती है। इसलिए इसे देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर कण-कण में भगवान विराजमान है, ऐसी लोगों की मान्यता है। यहां कई ऐसे मंदिर है जो रहस्यों से भरे पड़े हैं। इस श्रींखला में सबसे पहले हम बात करेंगे कमरूनाग देवता और कमरूनाग झील की।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की दुर्गम पहाड़ियों पर घने जंगल के बीच कमरूनाग देवता का मंदिर स्थित है। इस मंदिर के साथ एक झील भी है। माना जाता है कि इस झील में अरबों का खजाना दफन है और खुद नाग देवता इसकी रक्षा करते हैं। इस झील के साथ ही नाग देवता का मंदिर हैं।’

दरअसल जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में आता है वो मुराद पूरी होने पर इस झील में सोना चांदी या पैसे अर्पित करता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसे में इस झील में अरबों का खजाना इकट्ठा हो गया, जिसे कभी निकाला नहीं गया!
यह खजाना खुले में पड़ा रहता है लेकिन फिर भी कोई चोर आज तक इसे चुरा नहीं पाया। हालांकि कई बार चोरों ने चोरी का प्रयास किया लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो पाए।

यहां के लोगों का मानना है कि निजिस भी इंसान ने आज तक इस खज़ाने को लूटने की कोशिश की उसके साथ कुछ न कुछ अनर्थ ज़रूर हुआ है।

दरअसल रत्नयक्ष महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ देने जा रहे थे लेकिन रास्ते में भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें रोक लिया और ब्राहम्ण रूप धर श्रीकृष्ण ने राजा रत्नयक्ष से उनका शीश मांग लिया।
राजा रत्नयक्ष ने अपना शीश उन्हें दे दिया लेकिन बदले में वचन मांगा कि जब तक महाभारत युद्ध खत्म नहीं होता उनके शीश में प्राण रहे और वह पूरा युद्ध देख सके। इसके बाद श्रीकृष्ण ने उनके शीश को अपनी रथ की पताका से टांग दिया था।

युद्ध खत्म होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण पांडवों को उनके पास लाए और उनकी कुलदेवता मानकर पूजा अर्चना की। इन्ही को बाद में कमरूनाग के नाम से जाना जाने लगा। माना जाता है कि कमरूनागघाटी में स्थापित मूर्ति भी पांडवों ने आकर स्थापित की थी।