भारत आए दिन सिविल-इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बड़े-बड़े कीर्तिमान हासिल कर रहा है। पहले विश्व की सबसे लंबी और सबसे ऊंची अटल टनल का निर्माण और अब विश्व के सबसे ऊंचे (World’s highest Railway Bridge) चिनाब पुल (Chenab Bridge) का तैयार होना। यह दो ऐसे उदाहरण है जिन्होंने भारतीय इंजीनियरों की कार्यकुशलता का परिचय दिया है। चिनाब पर बना यह पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है जो नदी के तल के स्तर से 359 मीटर ऊपर है। यह पेरिस (फ्रांस) के प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है।

एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है ये रेलवे पुल, भूकंप सहने की भी है क्षमता, जानें खासियतें
यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) का हिस्सा है। हालांकि अभी चिनाब पुल का मेहराब बंदी (Arch closure) काम ही पूरा हुआ है। मेहराब का काम पूरा होने के बाद, स्टे केबल्स को हटाने, मेहराब रिब में कंक्रीट भरने, स्टील ट्रेस्टल को खड़ा करने, वायडक्ट लॉन्च करने और ट्रैक बिछाने का काम शुरू किया जाएगा।
चिनाब पुल की प्रमुख विशेषताएं:
यह पुल 1315 मीटर लंबा है।
पुल की लागत 1486 करोड़ रुपये है।
यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है जो नदी के तल के स्तर से 359 मीटर ऊपर है।
यह पेरिस (फ्रांस) की प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है।
इस पुल के निर्माण में 28,660 मीट्रिक टन इस्पात का फैब्रिकेशन हुआ है।
इसमें 10 लाख सीयूएम मिट्टी का कार्य हुआ है।
66,000 सीयूएम कंक्रीट का इस्तेमाल हुआ है और 26 किलोमीटर मोटर योग्य सड़कों का निर्माण शामिल है।
यह मेहराब में इस्पात के बक्सों से बनी है। टिकाऊपन में सुधार के लिए इस मेहराब के बक्सों में कंक्रीट भरी जाएगी।
इस मेहराब का कुल वजन 10,619 मीट्रिक टन होगा।
भारतीय रेलवे ने पहली बार ओवरहेड केबल क्रेन द्वारा मेहराब के मेंबर्स का निर्माण किया है।
संरचनात्मक कार्य के लिए सबसे आधुनिक टेक्ला सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है।
संरचनात्मक इस्पात -10 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के लिए उपयुक्त है।

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चिनाव पुल की अनूठी विशेषताएं | Unique Features of Chenab Bridge
यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति की हवा की गति का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है।
यह पुल देश में पहली बार डीआरडीओ के परामर्श से ब्लास्ट लोड के लिए डिजाइन किया गया है।
यह पुल एक खंभे/ सहारे को हटाने के बाद भी 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर परिचालित रहेगा।
यह भारत में उच्चतम तीव्रता वाले जोन-V के भूकंप बलों को सहन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
पहली बार भारतीय रेलवे ने वेल्ड परीक्षण के लिए चरणबद्ध ऐरे अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग मशीन का उपयोग किया है।
भारतीय रेलवे ने पहली बार स्थल पर वेल्ड परीक्षण के लिए एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला स्थापित की।
ढांचे के विभिन्न भागों को जोड़ने के लिए लगभग 584 किलोमीटर वेल्डिंग की गई है जो जम्मू तवी से दिल्ली की दूरी के बराबर है।
श्रीनगर एंड पर केबल क्रेन के पाइलन की ऊंचाई 127 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 72 मीटर से कहीं अधिक है।
भारतीय रेलवे ने पहली बार एंड लॉन्चिंग विधि का उपयोग करके घुमावदार वायडक्ट भाग का शुभारंभ किया है।
अत्याधुनिक इंस्ट्रूमेंटेशन के माध्यम से व्यापक स्वास्थ्य निगरानी और चेतावनी प्रणालियों की योजना बनाई गई है।