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जानें कैसे शुरू हुआ MDH मसालों का सफर? धर्मपाल गुलाटी की प्रेरक कहानी

MDH मसालों के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनका जीवन हमेशा हमें प्रेरणा देता रहेगा। कैसे पांचवी फेल एक शख्स ने मसालों के शहंशाह के नाम से अपनी पहचान बनाई? उनकी ये कहानी दिलचस्प है। बात उनके जन्म की करें तो महाशय धर्मपाल का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता महाशय चुन्नीलाल और माता माता चनन देवी धार्मिक विचारों वाले थे।
जानें कैसे शुरू हुआ MDH मसालों का सफर, धर्मपाल गुलाटी की प्रेरक कहानी?
वर्ष 1933 में उन्होंने 5 वीं कक्षा पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ दिया। 1937 में, उन्होंने अपने पिता की मदद से कई छोटे-छोटे व्यवसाय किए। लेकिन ये छोटे व्यवसाय उन्हें लंबे समय तक रोक नहीं पाए और उन्होंने अपने मसाले के पैतृक व्यवसाय महाशियान दी हट्टी (Mahashian Di Hatti) में अपने पिता के साथ काम करना शुरू किया।
जानें कैसे शुरू हुआ MDH मसालों का सफर, धर्मपाल गुलाटी की प्रेरक कहानी?
देश के विभाजन के बाद, वह भारत आए और 27 सितंबर 1947 को दिल्ली पहुंचे। उस समय उनके पास केवल 1500 रुपये थे। इस राशि में से उन्होंने 650 रुपये में एक तांगा ख़रीदा और कुछ दिनों के लिए तांगा चलाया। तत्पश्चात उन्होंने करोल बाग में लकड़ी का एक छोटा खोखा खरीदा और फिर से मसालों का अपना पैतृक व्यवसाय Mahashian Di Hatti, Sialkot “DEGGI MIRCH WALE के नाम शुरू किया।
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अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और व्यापार में समर्पित ईमानदारी से महाशयजी ने उद्यम को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। हालांकि महाशय जी की सफलता के पीछे कोई Secret Formula नहीं है। उन्होंने केवल शुद्ध और गुणवत्ता वाले उत्पादों के माध्यम से अपने ग्राहकों की सेवा करने के पारंपरिक रूप से स्थापित सिद्धांत का पालन किया।
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Mahashay Dharmpal Gulati की समाज सेवा में भी काफी रुचि थी। उन्होंने दिल्ली में कई स्कूल और अस्पताल बनाए हैं। उन्होंने अकेले समाज और गरीब लोगों के लाभ के लिए 20 से अधिक स्कूलों की स्थापना की है।
महाशय धर्मपाल की Philosophy यही थी कि, “Give to the world the best you can, and the best will come back to you automatically.” इसी Philosophy पर काम करते हुए उन्होंने MDH को कामयाबी के शिखर तक पहुंचा दिया। MDH मसाले आज भारत में लगभग हर घर में इस्तेमाल होते हैं। MDH का कारोबार देश के साथ-साथ विदेश में भी है। MDH आज के समय में ब्रिटेन, यूरोप, यूएई और कनाडा सहित कई देशों में भारतीय मसालों का निर्यात करती है। आज के समय में MDH का हजारों करोड़ का कारोबार है। एमडीएच के 62 प्रॉडक्ट्स हैं!
जानें कैसे शुरू हुआ MDH मसालों का सफर, धर्मपाल गुलाटी की प्रेरक कहानी?
धर्मपाल गुलाटी (Mahashay Dharmpal Gulati) अपने उत्पादों की खुद ही ऐड करते थे। वर्ष 2017 में उन्हें भारत में किसी भी FMCG कंपनी का सबसे ज्यादा वेतन पाने वाला CEO भी घोषित किया गया था। बताया जाता है कि धर्मपाल गुलाटी अपने वेतन का ज्यादातर हिस्सा दान में दे देते थे। उनके घर और ऑफिस के दरवाजे हमेशा लोगों के लिए खुले रहते थे। धर्मपाल गुलाटी को व्यापार और उद्योग में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। अगर आप Mahashay Dharmpal Gulati के बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं तो आप उनकी किताब भी खरीद सकते हैं।
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