ओलंपिक में शीर्ष पर रहने वाले खिलाड़ियों को गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल मिलते हैं। पदक देने की यह परंपरा सेंट लुइस 1904 ओलंपिक खेलों (Olympics Games) में शुरू हुई। लेकिन इन मेडल को लेकर लोगों में तरह-तरह के सवाल रहते हैं। आज उन्हीं सवालों का जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलेगा।
गोल्ड का नहीं बना होता गोल्ड मेडल | Gold Medal Olympics Games
बता दें कि ओलंपिक में जीत के बाद जो गोल्ड मेडल खिलाड़ी को दिया जाता है वो खरे सोने से नहीं बना होता। यह वास्तव में सिल्वर मेडल होता है जिसमें सोने की परत चढ़ी होती है। 556 ग्राम के वजन के मेडल में 6 ग्राम सोना होता है और बांकि चांदी होती होती है।
सिल्वर मेडल पूरा चांदी का बना होता है
वहीं सिल्वर मेडल का वजन 550 ग्राम होता है जो पूरी तरह सिल्वर यानी चांदी से बना हुआ है। इसकी मोटाई 7.7 मिमी से लेकर 12.1 मिमी तक होती है। ब्रॉन्ज मेडल का वजन 450 ग्राम है जिसमें 428 ग्राम कॉपर और जिंक का मिश्रण होता है।
टोक्यो में भारत ने जीते 7 मेडल (How many medal India Won in Tokyo Olympic)
इस बार भारत के सात खिलाड़ियों ने मेडल अपने नाम किए हैं। इनमें वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू ने सिल्वर, पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज, बॉक्सिंग में लवलीना ने ब्रॉन्ज मेडल, रवि दहिया ने रेसलिंग में सिल्वर, इंडियन मेंस हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज, रेसलिंग में बजरंग पूनिया ने ब्रॉन्ज और नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल दिलाया।