हाथ का हुनर कैसा होता है? इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं। तस्वीरों में जो गाड़ियां आप देख रहे हैं वो कहीं वर्कशॉप या फ़ैक्टरी में नहीं बनी बल्कि पंकज कुमार ने अपने हाथों से बनाई हैं, वो भी कागज और लकड़ी से। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला की पंचायत ग्वारडू के गांव कुसवाड़ के पंकज कुमार द्वारा बनाए गए इन वाहनों को देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है कि यह असली हैं या नकली। पंकज ने हूबहू बसों और ट्रकों जैसे मॉडल तैयार किए हैं।

इस शख्स के हुनर के आप हो जाएंगे कायल, बनाए ऐसे मॉडल कि असली नकली में फर्क करना मुश्किल
वहीं उन्होंने विश्व के सबसे खूबसूरत स्टेडियमों में शुमार धर्मशाला स्टेडियम को भी अपने हाथों से बनाया है। इसके अलावा पंकज ने घर और मंदिर भी बनाए हैं। पंकज फेसबुक के जरिए इनकी मार्केटिंग करते हैं। पंकज ने Thakur paper art and craft नाम से फेसबुक पेज बनाया है। फेसबुक के जरिए उन्हें इन गाड़ियों को खरीदने के लिए लोगों के फोन भी आ रहे हैं। अगर आप भी कोई मॉडल खरीदना चाहते हैं तो पंकज से इस 8287539478 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

इस शख्स के हुनर के आप हो जाएंगे कायल, बनाए ऐसे मॉडल कि असली नकली में फर्क करना मुश्किल
ऐसा नहीं है कि पंकज ने ये महारत रातों रात हासिल कर ली। दरअसल पंकज को बचपन से ड्राइंग का शौक था। पंकज को जब भी समय मिलता तो वो ड्राइंग में हाथ आजमाते थे। हालांकि वो काफी समय से यह मॉडल बना रहे थे लेकिन लॉकडाउन में जब वो घर बैठे-बैठे बोर हो रहे थे तो उन्होंने अपने हाथ के हुनर का इस्तेमाल किया और खिलौना गाड़ियां बनाना शुरू किया। लेकिन उनका ये शौक लोगों को इतना पसंद आया कि लोग पंकज की तारीफ करते नहीं थकते।

इस शख्स के हुनर के आप हो जाएंगे कायल, बनाए ऐसे मॉडल कि असली नकली में फर्क करना मुश्किल
पंकज ने अपनी इन कलाकृतियों को अब एडवांस कर दिया है। इसमें उन्होंने आटोमैटिक लाइटें लगाई हैं। बसों के मॉडल में खिड़की से लेकर दरवाजे भी हूबहू असली गाड़ियों की तरह लगाए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आपके सामने कोई कलाकृति नहीं असली वस्तु हो। पंकज दो से तीन दिन में किसी भी माडल को तैयार कर लेते हैं। पंकज ने ना केवल आत्मनिर्भर भारत के नारे को साकार किया है बल्कि वो दूसरे युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बने हैं।

इस शख्स के हुनर के आप हो जाएंगे कायल, बनाए ऐसे मॉडल कि असली नकली में फर्क करना मुश्किल