हिमाचल की सियायत में सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक नई लकीर खींच दी है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि विपक्ष में रहते हुए केवल सरकार को घेरना ही उनका काम नहीं बल्कि विपत्ति के समय में सरकार के साथ खड़े होना भी उनका दायित्व है। इसी के चलते सुक्खू ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 11 लाख का अंशदान दिया है। यहां बता दें कि यह किसी संस्था से जुटाया गया पैसा नहीं बल्कि उनकी खुद की कमाई का पैसा था।
सुक्खू ने कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर प्रदेश के अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थान में अत्याधुनिक सुविधाओं की जरूरत है। इसलिए वे अपनी निजी कमाई से 11 लाख रुपए सीएम रिलीफ फंड में दे रहे हैं। साथ ही सुक्खू ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में विभिन्न रोगों की जांच पड़ताल के लिए अत्याधुनिक मशीने स्थापित की जाएं।
हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है जब सुक्खू ने इस तरह की नजीर पेश की है। इससे पहले उन्होंने कोरोना महामारी के चलते वेतन लेने से इंकार कर दिया था। सुक्खू ने कहा था कि जब तक प्रदेश में कोरोना महामारी का खात्मा नहीं हो जाता, तब तक वे मूल वेतन से महज एक रुपया वेतन हीं लेंगे। उन्होंने अपनी उस अवधि का पूरा वेतन कोरोनाराहत कोष में दान दिया था जब अन्य विधायकों का 30 % वेतन कट रहा था। इसके अलावा सुक्खू ने हमीरपुर में RTPCR जांच मशीन के लिए भी विधायक निधि से पैसा दिया था।
आज ऐसे प्रयासों की सख्त जरूरत है। देखना होगा कि सुक्खू के इस कदम का कितने अन्य विधायक अनुसरण करते हैं क्योंकि कोरोना रूपी राक्षस का अभी समूल नाश नहीं हुआ है। इससे निपटने के लिए और पैसों की जरूरत है ताकि हम अपना स्वास्थ्य तंत्र मजबूत कर सकें।