बढ़ता हुआ प्रदूषण और सिमटती हुई कृषि भूमि आज फसलों को कीट और रोगों से बचाने के लिए प्रयासरत किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इन्हीं चुनौतियों से लड़ने के क्रम में कृषि वैज्ञानिक निरंतर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के विकास पर कार्य कर रहे हैं, जिससे फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। एरोपोनिक पद्धति भी ऐसी ही अभिनव कृषि तकनीकों में से एक है।
क्या है एरोपॉनिक पद्धति
एरोपॉनिक्स, मिट्टी या समग्र माध्यम के उपयोग के बिना हवा या पानी की सूक्ष्म बूंदों के वातावरण में पौधों को उगाने की प्रक्रिया है। एरोपॉनिक के जरिये पोषक तत्वों का छिड़काव मिस्टिंग के रूप में जड़ों में किया जाता है। पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा व प्रकाश के संपर्क में रहता है। अगर हम आलू की फसल उगाते हैं तो, एक पौधे से औसत 35-60 मिनिकन्द (3-10 ग्राम) प्राप्त किए जाते हैं। चूंकि, इस पद्धति में मिट्टी का उपयोग नहीं होता, तो मिट्टी से जुड़े रोग भी फसलों में नहीं होते। एरोपॉनिक पद्धति प्रजनक बीज के विकास में दो साल की बचत करती है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थापित किया जा रहा एक नया केंद्र
एरोपॉनिक पद्धति के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ग्वालियर में एक नया केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहां आलू के बीजों का उत्पादन करने के लिए खेतों की जुताई, गुड़ाई, और निराई की आवश्यकता नहीं होगी। आलू के बीजों का उत्पादन यहां अत्याधुनिक एरोपॉनिक पद्धति से हवा में किया जाएगा। यह तकनीक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की शिमला स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीपीआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा आलू बीज उत्पादन की विकसित की गई है।
प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्र
विश्व की सबसे महत्वपूर्ण गैर-अनाज फसल आलू है, जिसकी वैश्विक खाद्य प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत आलू उत्पादन के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर आता है, जबकि चीन पहले नंबर है। हमारे देश में आलू पैदा करने वाले प्रदेशों में मुख्यत: उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, पंजाब असम एवं मध्य प्रदेश हैं। मध्य प्रदेश आलू का छठा प्रमुख उत्पादक राज्य है। प्रदेश के प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्रों में इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास, शाजापुर एवं भोपाल के अलावा छिंदवाड़ा, सीधी, सतना, रीवा, सरगुजा, राजगढ़, सागर, दमोह, जबलपुर, पन्ना, मुरैना, छतरपुर, विदिशा, रतलाम और बैतूल शामिल हैं।
नई तकनीक आलू के बीज की आवश्यकता को पूरा करेगी
पीएम मोदी के नेतृत्व में कृषि के समग्र विकास के लिए सरकार अनेक योजनाओं पर मिशन मोड में काम कर रही है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल ही में कहा कि विषाणु रोग रहित आलू बीज उत्पादन की एरोपॉनिक पद्धति के माध्यम से उत्पादित आलू के बीजों की उपलब्धता देश के कई भागों में सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा कि यह नई तकनीक आलू के बीज की आवश्यकता को पूरा करेगी, और मध्य प्रदेश के साथ-साथ संपूर्ण देश में आलू उत्पादन बढ़ाने में मददगार होगी।
नवीन वैज्ञानिक पद्धतियों से कृषि की चुनौतियों से काफी हद तक पार पाया जा सकता है और एरोपॉनिक पद्धति इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। नवीन और उन्नत कृषि तकनीकी उत्पादन लक्ष्य की पूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।